Wednesday, October 10, 2018

Rudhashtak - Sanskrit / Hindi - Devnagari script

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम I निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेअहम II निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा घ्य़ान गोतीतमीशं गिरीशम I करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम II तुश्हाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम I स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा II चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम I मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि II प्रचण्डं प्रकृश्ह्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम I त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजे.अहं भवानीपतिं भावगम्यम II कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी I चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी II न यावत उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम I न तावत सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम II न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतो.अहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम I जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो II रुद्राश्ह्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोश्हये I ये पठन्ति नरा भक्त्या तेश्हां शम्भुः प्रसीदति II